समरण की सुध लेवाने आवे
ऐक पल मा मारो प्राण पती
समरण की सुध लेवा ने आवे,
★प
अजा मेल अजा को वेरी
जा घर काल कळा जागती
पुत्र ना नामे ऐक पल मा ओधार्यो
देख भरोसा नी भक्ती
समरण की सुध लेवा ने आवे,
★र
ऐक भरोसे अधरमी ओधार्यो
किधी मलेष्छ नी भली मती
अधरमी सजना ने आशीक बनाव्यो
गुणका हती ऐने किधी सती
समरण की सुध लेवा ने आवे,
★ब
रण भुमी मा किधी रखवाळी
नकर हालत पंखी नी बुरी हती
अधर क्षुणी माथी इंडा उगार्या
मरता राख्या जोने मुढ मती
समरण की सुध लेवा ने आवे,
★त
अविनासी को खेल अटारो
जाणे ऐने कोय विरला जती
सदगुरु चरणे दास सवो कहे
गोविंदा तारी छे गहन गती
समरण की सुध लेवा ने आवे,
ऐक पल मा मारो प्राण पती
समरण की सुध लेवा ने आवे,
★प
अजा मेल अजा को वेरी
जा घर काल कळा जागती
पुत्र ना नामे ऐक पल मा ओधार्यो
देख भरोसा नी भक्ती
समरण की सुध लेवा ने आवे,
★र
ऐक भरोसे अधरमी ओधार्यो
किधी मलेष्छ नी भली मती
अधरमी सजना ने आशीक बनाव्यो
गुणका हती ऐने किधी सती
समरण की सुध लेवा ने आवे,
★ब
रण भुमी मा किधी रखवाळी
नकर हालत पंखी नी बुरी हती
अधर क्षुणी माथी इंडा उगार्या
मरता राख्या जोने मुढ मती
समरण की सुध लेवा ने आवे,
★त
अविनासी को खेल अटारो
जाणे ऐने कोय विरला जती
सदगुरु चरणे दास सवो कहे
गोविंदा तारी छे गहन गती
समरण की सुध लेवा ने आवे,
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