सखी सामंभळ रे शंदेसो
सतलोक नो रे,
सदगुरु सान मा समजावे रे
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
★प
सखी मलक रे जोयो मे राम नो
तेने बीजी वातु केम भावे रे
सखी अविचल सुख जेणे
अनुभव्या रे,
ते तो मुखे थी केम कहावे रे,
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
★र
सखी इसक जाग्यो जेना उर मां
ऐने भाणे भोजन केम भावे रे
सखी कंथ नो संदेसो सुणी
कामनी
तेनी द्रस्टी मा दुनीया केम आवे रे,
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
★ब
सखी सुख तो लीधा जेणे
सेज ना
तेनो रस चाख्यो विना जीभे रे
सखी आनंद नो माय ऐना अंगमां
तेने जाळवी ने राखीये प्रात रे,
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
★त
सखी देशी रे मळी जाय
आपणा देश ना
तेदी गुनातीत गुजु करीये रे,
सखी अरस परस मळे ऐकमां
ग्नान हेमाळा मा गाळीये रे,
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
★
सखी वैभव माण्यो जेणे विदेह नो
खलक लागे तेने बधी खारी रे
सखी तन मन धन सोप्यां
तेहने मे तो वर साथे कीधी रे,
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
★
सखी गोठे नही हवे कोइ गोठळी
नीज मन पीया थी बंधाणु रे,
सखी दास रे सवो कहे दिन
रात मां
पीयु संग मोजु हु तो माणु रे,
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
सतलोक नो रे,
सदगुरु सान मा समजावे रे
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
★प
सखी मलक रे जोयो मे राम नो
तेने बीजी वातु केम भावे रे
सखी अविचल सुख जेणे
अनुभव्या रे,
ते तो मुखे थी केम कहावे रे,
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
★र
सखी इसक जाग्यो जेना उर मां
ऐने भाणे भोजन केम भावे रे
सखी कंथ नो संदेसो सुणी
कामनी
तेनी द्रस्टी मा दुनीया केम आवे रे,
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
★ब
सखी सुख तो लीधा जेणे
सेज ना
तेनो रस चाख्यो विना जीभे रे
सखी आनंद नो माय ऐना अंगमां
तेने जाळवी ने राखीये प्रात रे,
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
★त
सखी देशी रे मळी जाय
आपणा देश ना
तेदी गुनातीत गुजु करीये रे,
सखी अरस परस मळे ऐकमां
ग्नान हेमाळा मा गाळीये रे,
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
★
सखी वैभव माण्यो जेणे विदेह नो
खलक लागे तेने बधी खारी रे
सखी तन मन धन सोप्यां
तेहने मे तो वर साथे कीधी रे,
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
★
सखी गोठे नही हवे कोइ गोठळी
नीज मन पीया थी बंधाणु रे,
सखी दास रे सवो कहे दिन
रात मां
पीयु संग मोजु हु तो माणु रे,
सखी सामंभळ रे संदेसो
सतलोक नो रे,
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