क्यो ने विरा लक्षमण जती तने निंदरडी केम नावे,
कां तो सांमभर्यो तने भाइबंध भेरु
तारा हैया नि डाळी कोण हलावे,
विरा तने निदरडी केम नावे,
★प
वसंत आवि ने कहे तो तने वाहर ढोळे
केतो फुलडा तारी सेज तो बिछावे
के तो लक्षमण वन ना पंखी तने मधुरां गीत संम्भळावे,
विरा तने निंदरडी केम नावे,
★र
जगत सुवे ने मारो लक्षमण जागे
ऐ तो मारा अंतर ने अकळावे
ऐ जती जोगी तारा रे अंजपे पहाडो पण पीगळी जावे
वाला तने निंदरडी केम नावे,
★ब
विरा लक्षमण तारा जप तप माथे
मारु आयखु ओवारी दव
केतो विरा हु सीता माता सुमित्रा
बनी ने तने हालरडे हिचकावु
विरा तने निंदरडी केम नावे,
★त
{लक्षमण}
बार बार वरस थी माताजी सपनु जेनु
फरी रह्यु छे चकरावे,
माता जानकी जी जो हु आंख मीचुं तो उर्मिला मारा द्वार खखडावे,
मां मने निंदरडी ऐम ना आवे,
{कवि दाद बापु}
कां तो सांमभर्यो तने भाइबंध भेरु
तारा हैया नि डाळी कोण हलावे,
विरा तने निदरडी केम नावे,
★प
वसंत आवि ने कहे तो तने वाहर ढोळे
केतो फुलडा तारी सेज तो बिछावे
के तो लक्षमण वन ना पंखी तने मधुरां गीत संम्भळावे,
विरा तने निंदरडी केम नावे,
★र
जगत सुवे ने मारो लक्षमण जागे
ऐ तो मारा अंतर ने अकळावे
ऐ जती जोगी तारा रे अंजपे पहाडो पण पीगळी जावे
वाला तने निंदरडी केम नावे,
★ब
विरा लक्षमण तारा जप तप माथे
मारु आयखु ओवारी दव
केतो विरा हु सीता माता सुमित्रा
बनी ने तने हालरडे हिचकावु
विरा तने निंदरडी केम नावे,
★त
{लक्षमण}
बार बार वरस थी माताजी सपनु जेनु
फरी रह्यु छे चकरावे,
माता जानकी जी जो हु आंख मीचुं तो उर्मिला मारा द्वार खखडावे,
मां मने निंदरडी ऐम ना आवे,
{कवि दाद बापु}
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