प्रगट्यो प्रेम व्रजनार ने मग्न थय ने मन मा फुली,,,
कान कान कांय पुकारे ऐ देह नु भान भुली,,,
प्रगट्यो प्रेम जेने तुलसी ना दल थी प्रभु जी राजी,,,
प्रगट्यो प्रेम प्रभुजी ये खाधी खीचडी ने भाजी,,,
प्रेमी विदुरजी नी नार ऐ नहाता नहाता दोडी गय,,,
लक्षण छे ऐ प्रेम नु जय ने भेटी जदुराय ने...
केळा नी छाल काढी नाखती ऐ छाल प्रभु ने मुखे धराय छे,,,
कहे नरभेराम जोय ल्यो प्रेम नु पुरु पारखु छबिलो छालु पण खाय छे,,,
कान कान कांय पुकारे ऐ देह नु भान भुली,,,
प्रगट्यो प्रेम जेने तुलसी ना दल थी प्रभु जी राजी,,,
प्रगट्यो प्रेम प्रभुजी ये खाधी खीचडी ने भाजी,,,
प्रेमी विदुरजी नी नार ऐ नहाता नहाता दोडी गय,,,
लक्षण छे ऐ प्रेम नु जय ने भेटी जदुराय ने...
केळा नी छाल काढी नाखती ऐ छाल प्रभु ने मुखे धराय छे,,,
कहे नरभेराम जोय ल्यो प्रेम नु पुरु पारखु छबिलो छालु पण खाय छे,,,
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