Wednesday, 30 March 2016

जो आशीक मस्त फकीरी कॆ - JO AASHIK MAST FAKIRI KE- GUJARATI BHAJAN LYRICS

जो आशीक मस्त फकीरी कॆ 
दुनीया सॆ महोब्बत कम रखतॆ है
जीसॆ रात दिन हॆ लव लागी 
वो दॆह की शुध्ध भी परहरतॆ है 
जो आशीक मस्त फकीरी कॆ 
★प
पारस हॆ पास पडा जीनकॆ
चांदी सोनाको क्या करना?
जब चाहॆ तब सोना हॆ तो
भंडार को भर फीर क्या करना है
जो आशीक मस्त फकीरी कॆ
★र
समज बुज श्यानॆ बन संतो
हाल दिवानॆ फीरतॆ हॆ
ताकत होनॆ पर भी तकलीफ को
बॆपरवाह सॆ सॆहतॆ है
जो आशीक मस्त फकीरी कॆ
★ब
फरीयाद नहि करतॆ कीसी सॆ
खुद बियांबान मॆ बसतॆ हॆ
रटतॆं हॆ नाम निरजंन का
अपनी काया को कसतॆ है
जो आशीक मस्त फकीरी कॆ
★त
ऎ हाल है मस्त फकीरो का
फीर औरतो बातॆं करतॆ हॆ
विद्वान विचरतॆ बस्ती मॆ
तब मस्त अकॆलॆ फीरतॆं है
जो आशीक मस्त फकीरी कॆ

जीसॆ कॆफ चडा हॆ कॆवल का
उसॆ और असर नहि करता हॆ
ब्रह्मरुप होनॆ पर दॆह को
अपनी मोज सॆ तजतॆं है
जो आशीक मस्त फकीरी कॆ

लाल कहॆ यॆ हॆ खुद की मस्ती
और....तो मस्ती हॆ उपर की
क्रुष्ण क्रुपा बिना नहि मीलती
वो मस्ती सदगुरु कॆ घर की है
जो आशीक मस्त फकीरी कॆ 

1 comment:

  1. http://fakiriduniya.blogspot.com/2021/02/blog-post_19.html

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